माँ शीतला की जय
केर कुमटिया सांगरी रो
पचकुटो घणो भावे,
कोरमे री पूड़ियों रे साथै
लौंजी घणी सवावे,
दही बड़ा और खीचिया
करबे रे साथै भावै,
मालपडा ने गाल री सेवां
ठंडे रो मान बढ़ावे,
ठंडी ठंडी राबडी रे साथै
गुलगुला मीठा लागे
सातम ने सब ठंडो बणावे
आठम ने प्रसाद पावे,
शीतलामाता रे चरणों मे
सगळा शीश नवावे,
कागे माथै माँ शीतला रो
मेळो जबरो भरीजै,
मारवाड़ री प्रजा रे माथै
माता रो डंको बाजे,
माँ शीतला री किरपा सूं
टाबरिया रा दुख भागे
गोपाल कृष्ण व्यास