ऊंटों के श्रृंगार के आगे दुल्हन भी होती है फेल, पीठ का होता है अलग श्रृंगार

कृष्ण कुमार
नागौर:
क्या आपको पता हैं कि ऊंट के भी गहने व सजावट की सामग्री होती हैं. अगर आपको पता नहीं है तो आज ऊंट के श्रृगार व ऊंट के आभूषणों के बारे में बताते हैं. जिस तरह शादी के वक्त दुल्हन का सोने के आभूषण से श्रृंगार किया जाता हैं उसी तरह ऊंट का भी श्रृंगार किया जाता हैं. ऊंट किसानों  और पशुपालकों की जिदगी का अहम हिस्सा होता हैं. आपको बताते हैं ऊंट के आभूषण व सजावट के समान के बारे में…

रेगिस्तान के जहाज के लिए अलग – अलग प्रकार के आभूषण व सजावटी सामान होते हैं. ऊंट के सजावट के लिए पड़ची, जाली, काठी, नवरिया माला, गजरा, नकेल, गोरबंध, मणिया की माला, पेटी, बाजा व मोरा इत्यादि ऊंट के श्रृंगार करने में काम में लिया जाता हैं.

सबसे पहले होता है रेगिस्तान के राजा के गले का श्रृंगार :
सबसे पहले गले का श्रृंगार होता है. इसमें गोरबंद का इस्तेमाल किया जाता है. गले में ही चांदी और जरी की कसीदाकारी पट्टियां भी लगाई जाती हैं. पैरों में नेवरी बांधी जाती है और घुंघरू पहनाया जाता है. नाक व मुहं पर नकेल मोरा व ,मोरी का प्रयोग किया जाता हैं.ऊंट की गर्दन को सजाने के लिए मणियों की माला, गजरा, टोकरी, घंटी व लाल कलर के डिजाईनदार कपड़े से सजाया जाता हैं.

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ऊंट के पैरों के लिए नवरिया, मणियों से बनी पाईजेब, नकली मोती व घुंघरू का उपयोग किया जाता हैं.गोरबंध श्रृंगार का महत्वपूर्ण आभूषण होता हैं जों ऊंट के सीने पर सजाया जाता हैं. जो ऊंट की सुन्दरता को चार चांद लगा देता हैं.

पीठ का होता है अलग श्रृंगार:
ऊंट के पीठ के ऊपरी कूबड़ निकला हुआ होता हैं उसको सजाने के लिए पड़ची ,काठी व जाली का श्रृंगार किया जाता हैं.ऊंट के पीठ पर पहले काठी पहनाई जाती है। इसमें दो लोगों के बैठने की जगह होती है. इसके नीचे गद्दियां और ऊपर छेवटी रखी जाती है. काठी के सबसे ऊपर गादी रखी जाती है ,जो बैठने वालों के लिए बेहद आरामदेह होती है. गले से दोनों ओर पावों तक लुम्बा-झुम्बा पहनाया जाता है. ये रंगबिरंगा होता है. मुंह, कान और नाक को ढकते हुए चांदी का कसीदा किया हुआ मोहरा पहनाया जाता है. तंग काठी को कसने के काम बाता है जो दोनों ओर लटका होता है.

ऊंट के श्रृंगार आभूषणों की यह हैं कीमत:
ऊंट के श्रृंगार के आभूषणों की शुरुआत 200 रुपये से 12000 रुपये तक की होती हैं. श्रृंगार के आभूषणों के व्यापार करने वाले व्यापारी पप्पू ने बताया कि एक ऊंट को पूरी तरह से सजाने में लगभग 50 – 60 हजार रुपये के बीच खर्च आता है .

कुछ समान यहां पर बनता कुछ मिलता बाहर:
पप्पू ने बताया कि कुछ समान घर पर बनाया जाता हैं कुछ सामग्री बाहर से मंगवाई जाती हैं जो दिल्ली, आगरा से तैयार होकर आती हैं. घर पर ऊंट के श्रृंगार के लिए काठी, मोरी, बाजणा, नवरिया इत्यादि घर पर बनते हैं वहीं दिल्ला व आगरा से मणिया की माला, घुंघरु इत्यादि बाहर से मंगवाये जाते हैं.पप्पू ने बताया कि ऊंट के सजावटी सामान व आभूषण की दुकान बीकानेर व जोधपुर हाईवें पर स्थित हैं वहीं दूसरी दुकान गोटन के पास असावरी गांव में स्थित हैं.

Tags: Nagaur News, Rajasthan news in hindi

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