केवल मेरा राजनीतिक चरित्र हनन करना चाहते हैं मुख्यमंत्री : शेखावत
केंद्रीय जलशक्ति मंत्री का मुख्यमंत्री पर पलटवार
बोले- चार्जशीट में ना तो मुझे, ना ही परिवार के किसी सदस्य को बनाया गया अभियुक्त
पूछा- मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से झूठ बोलकर कहीं पुलिस को कोई संकेत तो नहीं दे रहे हैं?
जयपुर 20 फरवरी । केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर पलटवार करते हुए कहा कि केवल मेरा चरित्र हनन करके राजनीतिक रूप से मुझे कमजोर करने का षड्यंत्र है और जांच एजेंसी को टूल के रूप में इस्तेमाल करने का काम राजस्थान के मुख्यमंत्री कर रहे हैं। यह केवल एकमात्र प्रयास नहीं है, वो पहले से ऐसे प्रयास करते आ रहे हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वो जिस स्तर तक गए हैं, मैं उस स्तर पर नहीं जाना चाहता हूं। मैं धैर्य की एक सीमा बनाए रखना चाहता हूं।
भारतीय जनता पार्टी के जयपुर स्थित प्रदेश कार्यालय में सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में शेखावत ने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटी मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान समेत कई अन्य राज्यों में कार्य करती है। सोयायटी का जब पंजीकरण हुआ था, उस समय राजस्थान और दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी। सोसायटी को मल्टीस्टेट कैटेगरी का दर्जा भी वर्ष 2013 में मिला, उस समय भी दिल्ली में कांग्रेस की सरकार थी।
केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्ष 2018 में क्रेडिट को-आपरेटिव सोसाइटी के संचालक और उससे हुए घोटाले के मुख्य अभियुक्त कांग्रेस पार्टी के टिकट पर पचपदरा से चुनाव लड़ने की पूरी कोशिश कर रहे थे। बकायदा, लाखों रुपए खर्च कर अखबारों में फुल पेज के विज्ञापन दिए गए। उन्होंने कहा कि संजीवनी क्रेडिट को-आपरेटिव सोसायटी पर 23 अगस्त 2019 में एफआईआर दर्ज हुई थी। राजस्थान सरकार के अधीन कार्य कर रही पुलिस ने मामले की जांच की। इस मामले में पहली चार्जशीट दिसंबर 2019, दूसरी फरवरी 2020 और तीसरी चार्जशीट 7 फरवरी 2023 को दाखिल की गई। चार्जशीट हजारों पन्ने की है।
शेखावत ने कहा कि इन हजारों पन्नों की चार्जशीट में ना तो मुझे, ना ही मेरे परिवार के किसी सदस्य को अभियुक्त बनाया गया है। ऐसे में मुख्यमंत्री सार्वजनिक रूप से झूठ बोलकर कहीं पुलिस को कोई संकेत तो नहीं दे रहे हैं? शेखावत ने कहा कि मुख्यमंत्री अपने बेटे की हार का खीझ तो नहीं उतार रहे हैं?
शेखावत ने मुख्यमंत्री को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि कोर्ट के आदेश के बावजूद भी उन्होंने मुझे भगोड़ा कहा, मैं जांच में सहयोग नहीं कर रहा हूं, ऐसा कहा। मुझे कई तरह के संज्ञाएं दीं। मुझे नाकारा, निकम्मा, अर्कमण्य और इनकॉम्पिटेंट, डरकोप तक कहा। कोरोना में जितनी संज्ञाएं अपने पार्टी के नेता को दी थीं, उन्होंने वो सारी संज्ञाएं मुझे देने की कोशिश की।
फॉरेसिंक ऑडिट के बाद पेश हुई चार्टशीट के मामले में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मैंने फॉरेसिंक साइंस नहीं पढ़ा है, लेकिन जहां तक मैं समझता हूं, वह डाटा चेक करती है और पैसा कहां से आया और कहां गया, इस संबंध में पता लगाती है। फॉरेसिंक ऑडिट होने के बाद भी दो बार चार्टशीट फाइल हुई है, कहीं भी मुझे दोषी पाया गया होता तो चार्टशीट में लिखा होता। उन्होंने कहा कि साढ़े तीन-चार साल की जांच में एसओजी ने मुझे अभियुक्त नहीं ठहराया, लेकिन मुख्यमंत्री ने साढ़े तीन घंटे के भाषण में मुझे अभियुक्त ठहरा दिया।
राजस्थान सरकार ने संसद से पारित कानून नहीं किया लागू
केंद्रीय मंत्री शेखावत ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उस बयान का जिक्र किया, जिसमें मुख्यमंत्री ने निवेशकों का पैसा वापस पाने के लिए कानून में संशोधन की बात कही थी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मुख्यमंत्री को किसी भी तरह के कानून में संशोधन की आवश्यकता नहीं है। देश की संसद ने 2019 में एक कानून पारित किया था, उस कानून को केवल लागू करने की जरूरत है। 2019 में संसद ने अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम, 2019 पारित किया था। संसद में पारित होने के बाद देशभर में यह कानून लागू किया गया। इस एक्ट में स्पष्ट रूप से कंपनी, सोसाइटी, चिट फंड कंपनी आदि द्वारा किए गए फ्रॉड में निवेशकों का पैसा वापस लाना सुनिश्चित किया गया है। एक्ट में इस तरह के मामलों में एफआईआर दर्ज होते ही तत्काल सक्षम प्राधिकारी को सूचित करने के निर्देश दिए गए हैं। देश केे अनेक राज्यों ने सक्षम प्राधिकारी नियुक्त कर दिए हैं लेकिन अभी तक राजस्थान सरकार ऐसा नहीं कर पाई है। एक्ट में इस तरह के मामलों की जांच सीबीआई से कराने की बात कही गई है। सीबीआई की पहली प्राथमिकता निवेशकाें का पैसा वापस पाने की होगी। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यदि राजस्थान की सरकार निवेशकों का पैसा वापस लाने के प्रति गंभीर है तो उसे तत्काल संसद द्वारा पारित कानून को लागू करना चाहिए।
युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ कर रही सरकार
पेपरलीक के मामले में केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि जिस तरह से पिछले पेपरलीक मामले में अधिकारियों को, राजनेताओं को जांच से पहले ही क्लीनचिट दी गई, उसी प्रकार इस बार एफआईआर से पहले ही क्लीनचिट दे दी गई। इससे साफ है कि सरकार ने राजस्थान के युवाओं के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने का एक और नायाब उदाहरण पेश किया है।