बाला जी सु पुकार
बालाजी थासूं अर्ज है माहरी
राजस्थानी री महिमा भारी,
राजस्थानी री ओळखण सारु
अरदास करे है जनता सारी
उडीक करै बरसां सु सगळा
मायड भाषा है सबसूं न्यारी
क्यूँ अटकी मान्यता संसद में
बाट जोवै सब नर औऱ नारी,
बालाजी थांरो परचो भारी
आरती करै है जनता सारी,
मायड़ भाषा री मान्यता सूं
काळजो महारो ठंडो हौसी
संसद में बैठा रणबांकुरा
राजस्थानी री शान बढाओ
खोलो मूंडो करो जयकारो
मायड़ भाषा रो मान बढाओ,
संविधान में दुरबाँत कोनी
सगळा मिनख बराबर होवे
राजस्थानी भाषा रै काळजै
माँ सरस्वती रो निवास होवै,
मान्यता खातर है पवनपुत्र
बरसा सयुं तिरसा बैठा हां
राजस्थानी री ओळखाण सारू
चरणा में शीश झकावां हाँ
है संकटमोचन बालाजी
थोड़ी थारी किरपा कर दो
भाषा ने ओळखाँण दिरा नै
मायड़ भाषा रो मान बढाओ
✍️ गोपाल कृष्ण व्यास