राजस्थान के नागौर जिले के मकराना के पूर्व भाजपा विधायक भंवरलाल राजपुरोहित को 20 वर्ष पहले के बलात्कर के एक मामले में मकराना एडीजे कोर्ट ने 10 वर्ष कारावास व एक लाख रुपए का जुर्माना भरने, एक लाख रुपए पीड़िता को प्रतिफल के रूप में देने सहित जुर्माना राशि जमा नहीं कराने पर 10 माह अतिरिक्त कारावास की सजा सुनाई गई है । मामले में पैरवी करने वाले अपर लोक अभियोजक राम मनोहर डूडी ने बताया कि करीब बीस साल पहले, 1 मई 2002 को पूर्व विधायक भंवरलाल राजपुरोहित के खिलाफ पीड़ित महिला ने घर पर बुलाकर बलात्कार करने एवं गर्भपात करवाने का मुकदमा दर्ज करवाया था। पूर्व विधायक ने पीड़िता को अपने घर पर बुलाकर उसकी इच्छा के विरुद्ध जबर्दस्ती बलात्कार किया। जिसके बाद पीड़िता के गर्भ भी ठहर गया था। जिसके बाद आरोपी पूर्व विधायक ने पीड़िता के सात माह के गर्भ का जबरन गर्भपात भी करवाया। पीड़िता के मुताबिक आरोपी भंवर लाल ने पीड़िता से बलात्कर करने के बाद पांच सौ रुपए भी दिए थे। जिसे पीड़िता ने विधायक के घर पर ही फेंक दिए। मुकदमा दर्ज होने के बाद 16 अगस्त 2002 को राजनीतिक दबाव से पुलिस ने मामले में एफआर लगा दी थी। जिसके बाद 21 फरवरी 2006 को न्यायालय ने प्रसंज्ञान लेकर मामले की दोबारा से सुनवाई की गई। मामले में पीड़िता के पक्ष में 7 गवाह पेश किए। जिस पर आज मंगलवार को मकराना एडीजे कुमकुम ने फैसला सुनाते हुए पूर्व भाजपा विधायक भंवरलाल राजपुरोहित को दोषी मानते हुए 10 वर्ष कारावास, एक लाख रुपए जुर्माना, जुर्माना जमा नहीं कराने पर 10 माह अतिरिक्त कारावास एवं पीड़िता को मुआवजा के रूप एक लाख रुपए देने का फैसला सुनाया। फैसला आते ही पूर्व विधायक कोर्ट में ही बैठे रहे। जिसके बाद पुलिस ने व्हीलचेयर लेकर उनको कोर्ट से बाहर निकाला और राजकीय उप जिला चिकित्सालय ले गए। जहां उनका मेडिकल करवाया गया। जिसके बाद उन्हें पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर 86 वर्षीय पूर्व विधायक भंवर लाल राजपुरोहित को जीप में बैठाकर परबतसर जेल ले जाया गया। गौरतलब है कि भंवर लाल राजपुरोहित साल 2003 से 2008 तक मकराना से भाजपा के विधायक रहे हैं ।
*यह है मामला*
मनाना गांव की रहने वाली 22 साल की एक महिला ने कोर्ट में इस्तगासे के जरिए 1 मई 2002 को रिपोर्ट दर्ज करवाई थी। इस रिपोर्ट में कहा गया था कि वह 29 अप्रैल 2002 को दोपहर करीब तीन बजे भंवरलाल राजपुरोहित के कुएं पर गई थी। उस दिन भंवरलाल की पत्नी घर पर नहीं थी । कुएं पर पहुंचने के बाद भंवरलाल ने उसे कमरे के अंदर बुलाया।उसने कहा कि मैं तुम्हारे पति से मुंबई बात करवा देता हूं। अंदर जाने के बाद भंवरलाल ने उसके साथ दुष्कर्म किया। रिपोर्ट में बताया गया था कि रेप के बाद महिला गर्भवती हो गई थी, जिसका अबॉर्शन करवाना पड़ा। बीस साल से यह केस मकराना के अपर सेशन न्यायालय (एडीजे कोर्ट) में चल रहा था। इसमें सात गवाहों के बयान हुए। मामले में पीड़िता की ओर से अपर लोक अभियोजक राममनोहर डूडी ने पैरवी की। सुनवाई के बाद एडीजे कुमकुम ने आरोपी को सजा सुनाई।
*चार माह की जांच में पुलिस ने लगाई थी एफआर*
मामले की जांच कर रहे तत्कालीन पुलिस निरीक्षक तेजपाल सिंह ने चार माह में जांच कर मामले को झूठा बताया और 16 अगस्त 2002 को कोर्ट में एफआर पेश कर दी। 2003 में राजपुरोहित विधायक बन गया, जिसके बाद मामला दबाने की कोशिश हुई। एफआर लगने पर पीड़िता ने वापस कोर्ट की शरण ली।
जिस पर कोर्ट ने 21 फरवरी 2006 को प्रसंज्ञान लिया और वापस जांच के आदेश दिए। इसके बाद यह मकराना की कोर्ट में चला। सुनवाई के दौरान पीड़िता, उसके माता- पिता, दो डॉक्टर और जांच अधिकारी सहित एक अन्य के बयान हुए। जिनके आधार पर कोर्ट ने भंवरलाल को दोषी माना।