राजस्थान- हरियाणा की सीमा पर स्थित वन विभाग के पहाड़ में हो रहा है अवैध खनन, करोड़ों का राजस्व नुकसान
पाटन —–सीकर जिले की अंतिम ग्राम पंचायत स्यालोदडा जो पाटन पंचायत समिति के अंतर्गत आती है यह ग्राम पंचायत हरियाणा के बोर्डर पर स्थित है यंहा से महेंद्रगढ़ जिला शुरू हो जाता है जो हरियाणा में आता है। स्यालोदडा में स्थित पहाड़ चिड़ीमार के नाम से जाना जाता है जो करीब 4 किलोमीटर लंबा है। पहाड़ का पूर्वी ढलान हरियाणा में गिरता है तथा पश्चिमी ढलान राजस्थान में गिरता है। हरियाणा एवं राजस्थान की सीमा पर स्थित पहाड़ में क्वार्ट्ज जाइट पत्थर है जो बेशकीमती है। इस पत्थर का दाना बनाया जाता है जो शीशे बनाने में काम आता है। पहाड़ के दोनों तरफ लगभग तीन दर्जन से अधिक क्रेशर प्लांट लगे हुए हैं जो प्रतिदिन हजारों टन पत्थर पीसकर दाना तैयार करते हैं। क्रेशर प्लांटों के पास ना तो कोई लीज है तथा ना ही आसपास में क्वार्ट्ज जाइट की कोई लीज स्वीकृत है। ऐसे में इन क्रेशर प्लांटों के पास पत्थर कहां से आ रहा है यह सोचने का विषय है ? साफ जाहिर है इन प्लांटों में अवैध खनन का पत्थर आ रहा है। इस बारे में पूर्व में भी समाचार पत्रों में समाचार प्रकाशित हो चुके हैं कि चिड़ीमार पहाड़ में अवैध खनन का कार्य जोरों से हो रहा है, तथा हरियाणा एवं राजस्थान सरकार को करोड़ों रुपए का राजस्व नुकसान हो रहा है। अधिकतर अवैध खनन से जुड़े लोग हरियाणा के महेंद्रगढ़ जिले के रहने वाले हैं जो इस कारोबार से जुड़े हुए हैं, जो वन विभाग में स्थित पहाड़ से अवैध खनन करने में लगे हैं। अवैध खनन करने वाले लोग बांयल, मुसणोता तथा पांचनोता के है जो अपने ट्रैक्टरों से पत्थर क्रेशर प्लांटों तक पहुंचा रहे हैं। अवैध खनन के कारोबार से जुड़े लोग अवैध रवन्ना भी रखते हैं जिससे अपने आप को पेनल्टी से बचाते रहते हैं। अवैध रवन्ना की जांच की जाए तो खनन माफियाओं से भारी पेनल्टी के साथ जुर्माना वसूला जा सकता है।दुसरी तरफ अवैध खनन को रोकने के लिए दोनों राज्यों के वन विभाग के अधिकारियों द्वारा संयुक्त कार्रवाई की जाए तो दोनों राज्य सरकारों का राजस्व भी बढ़ सकता है और अवैध खनन पर अंकुश भी लग सकता है। पूर्व में क्षेत्रीय वन अधिकारी पाटन द्वारा वन क्षेत्र में खाई खोद कर रास्ता अवरुद्ध किया गया था परंतु खनन माफियाओं द्वारा उस खाई को बंद कर दिया गया और बेझिझक अपने वाहनों में पत्थर भरकर प्लांटों पर पहुंचा रहे हैं तथा मोटी चांदी कूटने में लगे हुए हैं। ग्रामीणों का कहना है कि विभागीय अधिकारियों को अवगत कराने के बाद भी अधिकारी कार्रवाई नहीं कर रहे हैं इससे लगता है कि इस कारोबार में अधिकारियों का हाथ भी खनन माफियाओं से मिला हुआ है।