होली विभिन्न दृष्टिकोणों और स्वभावों के उत्सव का प्रतीक है।
– गुरुदेव श्री श्री रविशंकर
होली के दिन हमारे जीवन में भी उत्साह और प्रेम के रंगों को खिलना चाहिए।हमारा चेहरा प्रसन्नता से चमकना चाहिए और हमारी आवाज़ मधुरता से तरंगित होनी चाहिए।जीवन का रंग ऐसा होना चाहिए ,जो ईश्वर में गहरी श्रृद्धा के द्वारा खिल उठे। जीवन में क्रोध,राग ,द्वेष,लालच,आसक्ति और वासना के अशुभ रंगों के बजाय सुगंध,सौंदर्य और विविधता के रंग होने चाहिए।
होली विभिन्न दृष्टिकोणों और स्वभावों के आत्मसात और जीवन को विशाल दृष्टिकोण से देखने का दिन है।
चुनौतियां आएंगी और आपको ऐसे लोगों के साथ काम करना पड़ सकता है,जिनके विचार और काम करने का तरीका आपसे अलग है।लेकिन,जब आप अपने दृष्टिकोण को विशाल कर लेते हैं और अपने जीवन को एक विशाल दृष्टिकोण से देखते हैं,तो आप छोटी छोटी बातों को जाने देते हैं,जो आपको अभी बहुत महत्वपूर्ण लगती हैं।
आप देखेंगे कि लोग भावनाओं के विभिन्न रंगों को अभिव्यक्त करते हैं।आप उनसे दूरी बना कर रख सकते हैं।तब आप जान जाएंगे कि वे सदैव एक से नहीं रहते हैं।समय के साथ वे बदल जाएंगे और उनकी भावनाएं भी बदल जाएंगी।थोड़ी देर प्रतीक्षा कीजिए,थोड़ा और प्रयास कीजिए।यदि वे बदल जाते हैं,तो अच्छा है।लेकिन,यदि वे नहीं बदलते हैं,तो आप आगे बढ़ जाएं।तीसरा विकल्प यह है कि आप सोचें कि ठीक है,उन्हें वैसे ही रहने दीजिए।उनके कारण मेरे भीतर कुछ अच्छी कुशलताएं उत्पन्न हो जाएंगी।इससे मेरे भीतर संवाद करने की कुशलता और अपने बारे में सकारात्मक सोच उत्पन्न होगी।अंत में सबकुछ ईश्वर पर छोड़ दीजिए।अपने भीतर देखिए कि आपमें कितने नकारात्मक और कितने सकारात्मक गुण हैं?आपको यह सोचने की आवश्यकता है कि आपको अपने में क्या सुधार करना चाहिए?दूसरे लोगों में किस प्रकार से सुधार लाना चाहिए – अभी यह उन पर छोड़ दीजिए।यदि आप उन्हें कुछ सिखाना चाहते हैं,तो करुणा के साथ कीजिए।आप उनके बेहतर जीवन के लिए प्रार्थना कीजिए।जो लोग दूसरों को चोट पहुंचाते हैं,वे भी भीतर से कहीं चोट खाए हुए हैं।तो,महात्मा गांधी के पसंदीदा गीत में जो प्रार्थना है,वह कीजिए,” ईश्वर अल्ला तेरो नाम,सबको सन्मति दे भगवान।” प्रत्येक व्यक्ति का मन और बुद्धि शुद्ध हो जाए और सही दिशा में चलायमान हो।इस पृथ्वी पर हर प्रकार के लोगों की आवश्यकता है।वे संसार को रंगीन बनाते हैं।वे आपके कुछ निश्चित बटन दबाते हैं और आपमें वैसी भावनाएं उत्पन्न होने लगती हैं।आपको इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि आप किस प्रकार से प्रतिक्रिया करते हैं।
नियम यह है कि आप जो भी करते हैं,प्रकृति उससे अधिक आपको वापस लौटा देती है।यदि आप दूसरों को दुख पहुंचाते हैं,तो आपको दुख वापस मिलता है।यदि आप दूसरों को प्रसन्नता देते हैं,तो वह आपको वापस मिलती है।जो आपके पास है,यदि आप उसमें से थोड़ा सा दूसरों के साथ बांटते हैं,तो वह कई गुना होकर आपको वापस मिलता है।
हमें ऐसा बन जाना चाहिए कि हम जहां भी जाएं,हमारे द्वारा प्रसन्नता और प्रेम की खुशबू फैल जाए।घटनाओं और परिस्थितियों पर ध्यान दिए बिना,हम स्थिर,प्रसन्न,संतोषी बनें और परमात्मा में स्थापित हो जाएं।यदि हम में आंतरिक संतोष होता है,तब ना केवल हमारी इच्छाएं पूर्ण हो जाएंगी ,बल्कि हम दूसरों की इच्छा पूरी करने में भी सक्षम हो जाते हैं।होली खुशी,उल्लास और प्रसन्नता का त्यौहार है।और जीवन के इन रंगों को साथ लेकर हमें समाज और राष्ट्र के लिए कुछ अच्छे कार्य करने चाहिए।तो,ऐसी होली ना खेलें,जिसमें आप बस एक दूसरे पर रंग लगाएं।इसे एक ऐसा उत्सव बनाएं,जिसमें आप ईश्वर के रंग में रंग जाएं।