*विश्व महिला दिवस पर संत आशारामजी बापू की रिहाई की मांग को लेकर सड़कों पर उतरी महिला जागृति शंख नाद एवं महिला उत्थान मंडल की बहनें तथा बापूजी को रिहा करो … नारे के साथ निकाली विशाल संस्कृति रक्षा यात्रा*
*जोधपुर । 8 मार्च ।* पूज्य संत श्री आशारामजी बापू द्वारा प्रेरित महिला जागृति शंख नाद एवं महिला उत्थान मंडल द्वारा 8 मार्च विश्व महिला दिवस के उपलक्ष्य में जोधपुर में विशाल संस्कृति यात्रा निकाली गयी । यात्रा का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर किया गया । जूना खेड़ापति हनुमान मंदिर से यात्रा प्रारंभ होकर अखलिया चौराहा, बॉम्बे मोटर चौराहा, बारहवी रोड चौराहा, पांचवी रोड चौराहा, जालोरी गेट, सरदारपुरा गांधी मैदान होते हुए सत्संग भवन पर पूर्णाहुति हुई।
महिला जागृति शंख नाद प्रवक्ता आशु बहन ने बताया कि बैनर, तख्तियों व झाँकियों से सुसज्जित इस यात्रा में बड़ी भारी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया । यात्रा के द्वारा यह संदेश दिया गया कि लोकहित में अपना पूरा जीवन अर्पित करनेवाले संयममूर्ति ऐसे महापुरुष को षड्यंत्र के तहत झूठे आरोपों में फँसाया गया है । इन आरोपों को सिद्ध करने के लिए न्यायालय के पास एक भी सीधा प्रमाण (Direct evidence) नहीं है । फिर भी संत श्री आशारामजी बापू को आजीवन कारावास की सजा दी गयी है ।
अखिल राजस्थान श्री योग वेदांत सेवा समिति अध्यक्ष कालूराम जी ने कहा कि विश्व की 4 प्राचीन संस्कृतियों में से केवल भारतीय संस्कृति ही अब तक जीवित रह पायी है और इसका मूल कारण है कि संस्कृति के आधारस्तम्भ संत-महापुरुष समय-समय पर भारत-भूमि पर अवतरित होते रहे हैं लेकिन आज निर्दोष संस्कृति रक्षक संतों को अंधे कानूनों के तहत फँसाया जा रहा है ।
यात्रा में हमारे भारत देश की महान नारियों की आकर्षक झांकियों का प्रदर्शन भी किया गया । जाग रे जाग रे हे नारी तू जाग रे, बहुत सो चुकी अब तो जागो… भजनों के साथ महिलाओं को विशेष संदेश दिया गया । इसके साथ ही नारीशक्ति का संदेश देती हुई तख्तियां भी यात्रा के मुख्य आकर्षण का केंद्र रहीं ।
श्री योग वेदांत सेवा समिति जोधपुर अध्यक्ष ने बताया कि पूज्य बापूजी की शीघ्र रिहाई हेतु माननीय राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को कल ज्ञापन सौंपा जाएगा । ‘संत श्री आशारामजी बापू ने महिला सशक्तिकरण के लिए अनेक कार्य किये हैं। महिलाओं में आत्मबल, आत्मविश्वास, साहस, संयम-सदाचार के गुणों को विकसित करने के लिए महिला उत्थान मंडलों का गठन किया है, जिससे जुड़कर कई महिलाएँ उन्नत हो रही हैं ।
बापूजी ने संस्कृति-रक्षा, संयम-सदाचार एवं ब्रह्मविद्या, गीता-भागवत के प्रचार-प्रसार में अपना पूरा जीवन अर्पित कर दिया। मातृ-पितृ पूजन दिवस, तुलसी पूजन दिवस, वसुधैव कुटुम्बकम् व सर्वेभवन्तु सुखिनः, असतोमा सद्गमयं जैसी लुप्त हो रही परम्पराओं को पुनः आरम्भ कर भारतीय संस्कृति के उच्च आदर्शों को पुनर्जीवित किया है। अतः हम करोड़ों बहनें जो उनके समर्थन में खड़ी हैं, हमारी आवाज को क्यों नहीं सुना जा रहा है ? आजकल सोशल मीडिया पर जो लगातार ट्विटर ट्रेंड चलाये जा रहे हैं उनको भी नजरअंदाज किया जा रहा है । निर्दोष संत को 10 साल से जेल में रखना भारत देश में एक शर्मनाक कृत्य है।
सदस्या बहनों ने बताया कि देश भर में महिला मंडल द्वारा महिलाओं के सर्वांगीण विकास हेतु ‘चलें स्व की ओर’…महिला शिविर का आयोजन, बेटी बचाओ अभियान, तेजस्विनी अभियान, आध्यात्मिक जागरण हेतु युवती एवं महिला संस्कार सभाएं, दिव्य शिशु संस्कार अभियान, निःशुल्क चिकित्सा सेवा,चल चिकित्सा सेवा, मातृ-पितृ पूजन दिवस, कैदी उत्थान कार्यक्रम, घर-घर तुलसी लगाओ अभियान, गौ-संवर्धन व हर अमावस्या पर गरीबों में भंडारे, दीपावली पर दरिद्रनारायण सेवा आदि समाजोत्थान के कार्य किए जाते हैं । उन्होंने कहा कि ये सारे दैवी सेवाकार्य संत श्री आशारामजी बापू की प्रेरणा से चलाए जाते हैं।
इस दौरान यात्रा में महापुरुषों के श्रीविग्रहों से सुसज्जित वाहनों के साथ अनेक महिलाएं व पुरुष उपस्थित थे ।