देवनगर थाना पुलिस ने चोपासनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर 9 निवासी कैलाश तोलानी की शिकायत पर केस दर्ज किया है.

 

देवनगर थाना पुलिस ने चोपासनी हाउसिंग बोर्ड के सेक्टर 9 निवासी कैलाश तोलानी की शिकायत पर केस दर्ज किया है.
थानाधिकारी जयकिशन सोनी ने बताया कि झांसेबाज बाप-बेटे से उसकी मुलाकात साल 2015 में त्रिपोलिया में एक निर्माण कार्य के दौरान हुई थी. न्याज निगम कर्मचारी बनकर मिला था. फिर धीरे-धीरे उसका मेरे पास आने लगा. 
एक दिन न्याज ने कहा कि उसकी रोहट में जमीन है, जिसका सौदा तीन करोड़ रुपए में हुआ है.  उसे बेटे की शादी करनी है और सौदे के पैसे मिले नहीं है. उसे रुपए की जरूरत है, इसलिए मैं उसे पैसे दे दूं. जब सौदे का पैसा उसे मिल जाएगा तो वह वापस कर देगा.कैलाश तोलानी के मुताबिक, न्याज की बातों में आकर उसे ढाई करोड़ रुपये दे दिए. जब अनस की शादी के कार्ड छपे तो मुझसे बिना पूछे मेरी फर्म का नाम भी डलवाया गया. शादी होने के बाद जब पैसे मांगना शुरू किया तो न्याज ने टाला-मटोली करना शरू कर दिया.
फिर कहने लगा कि कोरोना आ गया है, जिसके कारण जमीन के रुपए नहीं आए हैं. ज्यादा दबाव दिया तो चौखा में जमीन देने का कहा, जिसकी पड़ताल की तो पता चला कि जमीन किसी और के नाम पर है. इसके बाद बाप-बेटे पुलिस अधिकारियों से जान-पहचान होने की धौंस दिखाने लगे और कहने लगे कि हमारा कुछ नहीं  बिगडेगा.

अनस से सोशल मीडिया पर अपने नाम से अनेक ग्रुप बना रखा है. इस ग्रुप में उसकी मौज-मस्ती के फोटो अपलोड हैं. उसने कई पुलिस अधिकारियों के साथ के फोटो भी अपलोड कर रखे हैं.
मसर्डीज, ऑडी जैसी महंगी गाडियां में बैठे हुए के भी फोटो हैं. सामने आया है कि पुलिस अधिकारियों को शहर से बाहर आने-जाने के लिए अनस यह गाड़ियां उपलब्ध कराया करता था. साथ ही उनके लिए होटलों में कमरे भी बुक कराया करता थाअनस के सोशल मीडिया पर कई वीडियो रील अपलोड हैं. इनमें वह बिना नंबर की गाड़िया चलाता नजर आ रहा है. एक रील्स में वह नोटों की गड्डियां उड़ाता भी दिख रहा है.
गाडियों के साथ एक रील में उसने लिखा,”न फूफा हमारा सांसद है और न चाचा हमारा विधायक, नायक नहीं खलनायक हूं मैं”. एक रील में डिवाइडर से कार कुदाते हुए लिखा ”आन रोल गैंगस्टर, यह तो सिर्फ ट्रेलर है पिक्चर अभी बाकी है.”अनस के पास एक फार्म हाउस है, जहां उसने घोड़े भी पाल रखे हैं. अनस अपने पिता के साथ रियल एस्टेट का काम करता था. वह लोगों के घर बनाने के ठेके भी लेता था. उसने शहर में कई पुलिस कर्मियों के घर भी बनाए.
जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट में तैनात थानाधिकारियों के घर भी उसकी देखरेख में बन रहे हैं. पुलिस अधिकारियों के घरों के काम का हवाला देकर वह अन्य काम भी हासिल करता था. एक घर बनाने में एक साल से ज्यादा का समय लगता है. इस दौरान उसका उन अधिकारियों के साथ लगातार उठना बैठना होता था, जिसका वह फायदा उठाता था.

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